Class 12th History Chapter 1 Notes In Hindi – ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता) Bricks, Beads and Bones The Harappan Civilisation
Class 12th History Chapter 1 Notes In Hindi – ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता)
Board | CBSE Board, Bihar Board, UP Board, JAC Board, Delhi Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board & Other Board |
Text Book | NCERT |
Class | Class 12th |
Subject | History |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता) |
Medium | Hindi |
Class 12th History Chapter 1 Notes In Hindi –
Class 12th History Chapter 1 Notes In Hindi – ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता) Bricks, Beads and Bones The Harappan Civilisation – इस अध्याय में हम कक्षा वीं इतिहास के पहले अध्याय को सम्पूर्ण विश्लेषण के साथ पढ़ेंगे।
Class 12th History Chapter 1 Notes In Hindi – ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता)
💫 अध्याय # 01💫
✍️ ईंटें , मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता)✍️
🌟 संस्कृति शब्द का अर्थ :-
🌀 संस्कृत शब्द का प्रयोग पुरात्व वस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते है जो विशिष्ट शैली के होते है और समान्यतः इसका विशेष काल, खंड तथा भौगोलिक क्षेत्र से संबंध पाए जाते हैं। जैसे – हड़प्पा सभ्यता, विजय नगर सम्राज्य इत्यादि।
🌟 हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता) :-
🌀 प्राचीन भारत की पहली सभ्यता हड़प्पा सभ्यता हैं। इसकी खोज 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बिच का काल माना जाता हैं। इस संस्कृति की खोज पहली बार हड़प्पा सभ्यता स्थान पर खोजी गयी। इसलिए उसी नाम के आधार पर इस संस्कृति का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया। हड़प्पा सभ्यता पाकिस्तान के पंजाव प्रांत के मोंटगोमरी जिले के रावी नदी के बाएं तट पर स्तिथ है। इस सभ्यता को सिंधु सभ्यता के नाम से भी जानते हैं।
🌀 इस सभ्यता का विकास 12 लाख 99 हजार 600 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया गया था। जो की अब 15-20 लाख वर्ग किलोमीटर के आस-पास संभावित माना जाता हैं।
🌀 सिंधु सभ्यता के महादेवन एवं विश्वनाथ द्वारा किये गये शोध के आधार पर 2467 अभिलेख/ अभिलिखित सबूत मिले है। जिसकी संख्या अब लगभग 3000 के माना जाता हैं।
🌟 हड़प्पा संस्कृति काल / सिंधु घाटी सभ्यता :-
🌀 2600 से 1900 ईसा पूर्व
✳️ हड़प्पा संस्कृति के भाग / चरण :-
- आरंभिक हड़प्पा संस्कृति
- विकसित हड़प्पा संस्कृति
- परावर्तित हड़प्पा संस्कृति
🌟 हड़प्पा सभ्यता की खोज :-
“हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921-22 में दयाराम साहनी, राखलदास बनर्जी और सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई।”
🌀 कराची और लाहौर के बिच सन् 1856 में जब रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा था तो उतखनन कार्य के दौरान अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला। रेलवे में काम कर रहे कर्मचारी ने खंडहर समझ कर वहां की हजारों इंटे उखाड़ कर यहां से ले गये और ईंटो का इस्तेमाल रेलवे लाइन बिछाने में किया गया लेकि यह कर्मचारियों ने यह समझ नहीं पाया की यह एक सभ्यता थी। यह स्थान वर्तमान में पाकिस्तान में हैं।
🌀 उसी समय जॉन वोटर और विलियम वोटर दोनों ने एक महत्व सभ्यता होने का संकेत दिया लेकिन फिर भी कोई उत्खनन नहीं किया गया।
🌀 1920-21 में माधो स्वरूप व दयाराम साहनी के द्वारा पहली बार हड़प्पा का उतखनन किया गया। एवं 1922 में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थान पर उत्खनन किया जो पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाएं तट पर स्थित है। राखल दास बनर्जी इस टीले के ऊपर स्थित कुषाणु युगीन बौद्ध सपूत का उत्खनन कर रहे थे।
” नोट :- मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ – मृतिकों का टीला, मुर्दो का टीला, प्रेतो का टीला, सिंह का बाग। “
🌀 इन दोनों उत्खनन के बाद सन 1924 में भारतीय प्राथमिक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने पूरे विश्व के सामने एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की। सर जॉन मार्शल ने लंदन वीकली नामक पत्रिका में से सिंधु सभ्यता नाम दिया।
प्रश्न 1 – हड़प्पा सभ्यता को सिंधु सभ्यता क्यों कहा जाता हैं?
उत्तर – हड़प्पा सभ्यता का विकास से सिंधु नदी वह उसकी सहायक नदियों के आसपास के क्षेत्र में हुआ था, इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता का नाम दिया जाता है। अतः इसे हरप्पा सभ्यता भी कहा जाता हैं।
🌟 सिंधु सभ्यता की लिपि –
🌀 सिंधु सभ्यता को पढ़ने का प्रयास सन 1925 ईस्वी में वेंडेल ने तथा न्यूनतम प्रयास नटवर झा, घनपत सिंह धान्या, राजाराम ने की थी लेकिन अभी तक सिंधु लिपि को प्रमाणित रुप से पढ़ा नहीं जा सका।
🌀 लिपि के सबसे ज्यादा अवसर मोहनजोदड़ो से तथा दूसरे नंबर पर हड़प्पा से मिले हैं। लिपि के सबसे बड़े अक्षर धोलावीरा से मिले हैं जिन्हें नोटिस बोर्ड का प्रतीक माना गया है।
🌀 सिंधु लिपि भावचित्रात्मक है। अर्थात चित्रों के माध्यम से भावूकों को व्यक्त करना सिंधु लिपि दोनों ओर से लिखी जाती है इसलिए इसे बुस्ट्रोफेदेन कहा गया है।
🌀 सिंधु सभ्यता के विभिन्न पक्षों को जानने की दृष्टि से विशेष उल्लेखनीय है : सेलखड़ी प्रस्तर एवं पक्की मिट्टी से निर्मित विभिन्न आकार और प्रकार की मोहरे जिनमें आयताकार और वर्गाकार प्रमुख हैं।
🌀 आयाताकर पर केवल लेख मिलते हैं जबकि वर्गाकार पर लेख और चित्र दोनों मिलते हैं। मेसोपोटामिया की पांच बेलनाकार मोहरे मोहनजोदड़ो से मिली है तथा फारस की बनी हुई संगमरमर की मोह लोथल से मिली है।
🌟 सिंधु सभ्यता के निर्माता :-
🌀 सिंधु सभ्यता के अंतर्गत उत्खनन में मुख्य चार प्रकार के अस्ति पंजर मिले हैं –
- प्रोटो –
- अल्पाइन
- मंगोलियन
- भूमध्य सागरीय
🌀 इसके आधार पर यह संभावना स्वीकार की गई इसके निर्माण में विभिन्न प्रजातियों के लोगों का स्थान था। वैसे तो इनका संस्थापक द्रविदा को माना गया जो बाद में दक्षिण भारत में पलायन कर गए।
🌟 सिंधु सभ्यता की प्रमुख विशेषता :-
- कांस्य युग की सभ्यता
- व्यापार एवं वाणिज्य गतिविधियों में महत्व
- भारतीय इतिहास की प्रथम नगरीय क्रांति का प्रतिक
- जीवन के प्रति शांति वादी दृष्टिकोण (उत्खनन में ना तो हथियार और न ही रक्षात्मक हथियार जैसे ढाल, कवच आदि मिले)
- जीवन के प्रति समष्टि वादी दृष्टिकोण (इसकी पुष्टि मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार धोलावीरा एवं जूनीकरण से प्राप्त स्टेडियम जुनी करने मोहनजोदड़ो से प्राप्त सभा भवन से होता है।)
- सिंधु वासी लोग लोहे धातु से भी परिचित नहीं थे।
🌟 हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्रोत :-
- (i) आवास
- (ii) आभूषण
- (iii) इमारतें
- (iv) मुहरें
- (v) औजार
- (vi) खुदाई में मिले सिक्के
🌟 हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल :-
🌀 हड़प्पा सभ्यता के कुछ स्थल वर्तमान में पाकिस्तान में है और बाकी स्थल भारत में है जैसे :-
- लोथल – गुजरात
- बालाकोट – पाकिस्तान
- धौलावीरा – गुजरात
- कालिबंगा – राजस्थान
- बनावली – हरियाणा
- चन्हूदड़ो – पाकिस्तान
- इत्यादि
🌟 हड़प्पा सभ्यता में नगर नियोजन तथा वास्तुकला
- नगर योजना
- भवन निर्माण
- सार्वजनिक भवन
- विशाल स्नानघर
- अन्न भंडार
- जल विकास प्राणी इत्याादि
🌟 हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना (बस्तियां) :-
🌀 हड़प्पा सभ्यता की बस्तियों दो भागों में विभाजित थी –
” पहला दुर्ग – यह कच्ची ईटों की चबूतरे पर बनी होती थी। दुर्ग को दीवारों से घिरा गया था। दुर्ग का बनी संरचनाएं का प्रयोग संभवत विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोग के लिए किया जाता था।
दूसरा निचली शहर – निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। निचला शहर भी दीवार से घिरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊंचे चबूतरो पर बनाया गया था जो नई का कार्य करते थे। “
🌟 हड़प्पा सभ्यता की सड़कों और गलियों की विशेषताएं :-
🌀 समकोण पर एक दूसरे को काटते हुए सीधी सरके जिसके कारण पूरा नगर क्षेत्र विभिन्नता कार्य में खंडों में विभक्त हो गए जिससे जाल पद्धति, ऑक्सफोर्ड पद्धति, चेस बोर्ड पद्धति कहते हैं। सड़को का निर्माण मिट्टी से किया जाता था।
🌀 सड़क के किनारे किनारे पानी निकासी के नालियां बनी होती थी। नालियों को ढकने की व्यवसाय होती थी। नालियों को फर्श से ढका जाता था। नालियों में थोड़ी दूर पर शोषक कूप होता था जिनमें गंदगी रुकती थी। पक्की ईंटों का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता था।
नोट :- बनावली में सड़कों पर गाड़ी के पशु के निशान मिले हैं उन सड़कों को पक्की करने का प्रयास के भी साक्ष कालीबंगा से मिले हैं।
🌟 हड़प्पा सभ्यता में भवन निर्माण :-
🌀 हड़प्पा सभ्यता में मकानों की योजना आगमन पर आधारित है जिसमें शौचालय स्नानागार रसोईघर शयन कक्ष आदि के अतिरिक्त अन्य कमरा भी मिले हैं।
🌀 मजबूती के लिए नया निर्माण की जाती थी सड़कों के किनारे मकान बने थे जिसे सुविधा हवा सफाई प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था थी।
🌀 मकान जमीन से ऊंचाई पर बनाया जाते थे। मकानों के दरवाजे सड़कों की ओर खुले रहते थे। मकानों के प्रवेश द्वार मुख्य मार्ग की अपेक्षा गली की ओर खुलने थे जिसके कारण बाहरी हलचल शोरगुल एवं प्रदूषण से सुरक्षा रहित था।
🌀 सड़कों के किनारे किनारे पानी की निकासी के लिए नलिया बनी होती थी नदियों को ढकने की व्यवस्था भी थी।
🌀 नालियों को फर्श से ढका जाता था नालियों में थोड़ी-थोड़ी दूर पर शोषण खूब लगे रहते थे जिनमें गंदगी रुकी रहते थे पक्की ईटों का प्रयोग को बहुत अधिक मात्रा में किया जाता था।
🌟 हड़प्पा सभ्यता का सार्वजनिक भवन :-
🌀 सिंधु घाटी सभ्यता के दो भागों में विभाजित किया गया। जिसकी ऊपरी हिस्से में सार्वजनिक भवन एवं निचली हिस्से में व्यक्तिगत आवास बने हुए थे।
🌀 उत्खनन में सार्वजनिक या राजकीय भवनों के अवशेष मिले हैं। एक विशेष मोहनजोदड़ो से मिला है। जो 70 मीटर लंबा और 24 मीटर चौड़ा है। यह इमारत उसे कल की संपन्नता का परिचय है यहां पर 71 मीटर लंबा व इतना ही चौड़ा एक वर्गाकार कक्षा का अवशेष प्राप्त हुआ है जिसमें 20 स्तंभ हैं।
🌀 एक अनुमान के अनुसार इस भवन का उपयोग आपसी विचार विमर्श धार्मिक आयोजन सामाजिक आयोजन के लिए किया जाता होगा।ल
🌀 स्नानगर का जलाशय से किले में स्थित था। जो कि 11.88 मीटर लंबा एवं 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा इसके तल पर सीढ़ियां बनी हुई है यह सीढ़ियां पक्की ईंटों से बनाई गई है।
🌀 स्नान कुंड के चारों ओर कमरे एवं बरांडे भी बनाए गए हैं। स्नानगर की दीवारों के निर्माण में सीलन से बचने के लिए डावर या तारकोल का प्रयोग किया जाता था। पूरे स्नानागार आंगन में 6 प्रवेश द्वार होते थे स्नानागार में गर्म पानी की व्यवस्था भी थी।
” नोट – इस स्नानागार के बारे में अमेस्ट मैके कहते हैं कि यह स्नानागार प्रोहित के स्नान के लिए होता था। “
🌟अन्न भंडार :-
🌀 हड़प्पा नगर के उत्खनन में यहां के किले के राजमार्ग में 6 पंक्तियों वाले अन्न भंडार मिले हैं। उन भंडार की लंबाई 18 मीटर चौड़ाई 7 मीटर था। इसका मुख्य द्वार नदी की ओर खुलता था जो की समान जल मार्ग से आता था और अन्य भंडार में एकत्रित किया जाता था।
🌟 हड़प्पा सभ्यता में जल निकास प्रणाली :-
🌀 हड़प्पा संस्कृति नगर के तीन लोगों का जीवन उच्च था। घरों का गंदा पानी सड़कों के किनारे बनी हुई नदियों से लेकर शहरों से बाहर हो जाता था। इन नालियों में पक्की ईंटों का प्रयोग किया जाता था। उनका प्लास्टर किया जाता था जिससे नदियों को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए प्लास्टर के लिए चुना मिट्टी जिप्सम का प्रयोग किया जाता था।
नोट – प्रोफेसर रामचरण शर्मा की मान्यता है कि कौन से युग की किसी भी दूसरी सभ्यता ने सफाई व स्वास्थ्य को इतना महत्व नहीं दिया जितना हड़प्पा सभ्यता के वासियों ने दिया था।
नोट – बहुतायत से पक्की इंटो का प्रयोग मुख्य रूप से चार प्रकार के इंटे प्रयुक्त की जाती थी –
- आयताकार = 4:2:1
- L प्रकार की इंटे – इस ईंटो का प्रयोग कोने में किया जाता था।
- नोकदार इंटें – इनका प्रयोग कुओं में किया जाता था।
- इनका प्रयोग सीढ़ियों में किया जाता था।
🌟 हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक जीवन :-
- सामाजिक संगठन
- भोजन
- वस्त्र
- आभूषण व सौंदर्य
- प्रदर्शन
- मनोरंजन
- प्रौद्योगिकी
- मृतक कर्म
- चिकित्सा विज्ञान
Part 02 – जल्द आ रहा है……
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